HKRN 2025 News: कर्मचारियों की नौकरी पर संकट, हरियाणा सरकार के नए आदेश से बढ़ी चिंता

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by Rajkumar Published On: April 13, 2025
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HKRN 2025 News: हरियाणा सरकार के एक हालिया आदेश ने हरियाणा कौशल रोजगार निगम लिमिटेड (HKRNL) के माध्यम से कार्यरत संविदा कर्मचारियों की चिंता बढ़ा दी है। इस आदेश के बाद उन कर्मचारियों की नौकरी पर संकट मंडरा रहा है, जो हरियाणा अनुबंधित कर्मचारी (सेवा सुरक्षा) अधिनियम, 2024 के दायरे में नहीं आते हैं। आदेश के बाद अब ऐसे संविदा कर्मचारियों को हटाया जा सकता है। कांग्रेस ने भी इस फैसले पर नाराजगी जाहिर की है और कांग्रेस सांसद रणदीप सुरजेवाला लगातार सरकार से सवाल पूछ रहे हैं।

3 अप्रैल को मुख्य सचिव कार्यालय ने जारी किया आदेश

यह आदेश मुख्य रूप से उन संविदा कर्मचारियों से जुड़ा है, जो सेवा सुरक्षा अधिनियम के तहत कवर नहीं किए गए हैं। सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि जब तक विभागों, बोर्डों और निगमों में ग्रुप C के नवनियुक्त कर्मचारियों का समायोजन नहीं हो जाता, तब तक रिक्त पदों पर पहले से कार्यरत HKRNL व आउटसोर्सिंग पॉलिसी पार्ट 1 और 2 के तहत लगे कर्मचारियों को चरणबद्ध रूप से हटाया जाएगा।

‘पहले आओ, पहले जाओ’ का फॉर्मूला लागू होगा

आदेश में यह भी कहा गया है कि कर्मचारियों को हटाने की प्रक्रिया में ‘पहले आओ, पहले जाओ’ का सिद्धांत अपनाया जाएगा। यानी जो कर्मचारी लंबे समय से कार्यरत हैं, उन्हें पहले मुक्त किया जाएगा। सरकार की मंशा है कि हाल ही में हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग (HSSC) द्वारा आयोजित सामान्य पात्रता परीक्षा (CET) के माध्यम से चयनित ग्रुप C के उम्मीदवारों को नौकरी में स्थान दिया जाए।

15 अगस्त 2019 से पहले कार्यरत कर्मचारियों को राहत

हालांकि, सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि अगर कोई कर्मचारी 15 अगस्त 2019 से पहले HKRNL या आउटसोर्सिंग नीति के तहत नियुक्त हुआ है, तो उसे हटाया नहीं जाएगा। ऐसे मामलों में संबंधित विभाग द्वारा सेवा सुरक्षा अधिनियम 2024 के अंतर्गत कार्रवाई की जाएगी और सेवा में स्थायित्व देने की प्रक्रिया शुरू होगी।

कर्मचारी संगठनों का विरोध, आदेश वापसी की मांग

हरियाणा सर्व कर्मचारी संघ ने इस निर्णय को अवैध व तर्कहीन बताया है। संगठन के अध्यक्ष सुभाष लांबा ने कहा कि सरकार बेरोजगार युवाओं को नौकरी देने का दावा कर रही है, लेकिन इस फैसले से हजारों युवा अपनी मौजूदा नौकरी खो देंगे। उन्होंने सरकार से इस आदेश को तुरंत वापस लेने की मांग की है, ताकि किसी भी संविदा कर्मचारी की छंटनी न हो और उनकी आजीविका सुरक्षित रह सके।

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